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नारी तुम नारायणी

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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नारी तुम नारायणी हो
हे दयामूर्ति
हे आत्मशक्ति
हे यशाकीर्ति
तुम सदाचारिणी हो
नारी तुम नारायणी हो
तुम देती संबल
फैलाकर आंचल
पल पल हर पल
तुम दुखहारिणी हो
नारी तुम नारायणी हो
ममता की मूरत
भगवान सी सूरत
गहना है अस्मत
तुम ज्ञानदायनी हो
नारी तुम नारायणी हो
तुममें है वो साहस
करते हैं आभास
देवता भी अनायास
तुम दुर्गनाशिनी हो
नारी तुम नारायणी हो
लेना है लड़कर
चाहे हँस कर
चाहे रो कर
जिसकी तुम अधिकारिणी हो
नारी तुम नारायणी हो

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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