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नानकदेव चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.

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आदिगुरु हैं नानका, पीछे अंगद देव।
अमरदास गुरू रामजी, पंचम अर्जनदेव।।
हरगोविन्द हररामजी, हरकिशन अरु तेग।
दशम गुरु गोविन्दजी, हरते पीडा वेग।।

जय जय जय गुरुनानक देवा।
प्रभु की वाणी मानव सेवा।।

रावी तट तलवंडी ग्रामा।
गुरु जनमें पावन ननकाना।।

सन चौदह उनहत्तर साला।
कातिक पूनम भया उजाला।।

कालू मेहता घर अवतारा।
मां तृप्ता की आंखों तारा।।

देवी सुलछणी धरम निभाये।
श्रीचंद लखमी दो सुत पाये।।

गुरु गोपाला पाठ पढाये।
नागरि लिपि आखर समझाये।।

नानक नितनव प्रश्न बनाते ।
शिक्षक सब सुनके घबराते।।

हिंदी संस्कृत फारस सीखा।
सबमें एक प्रकाश ही दीखा।।

लिपि गुरुमुख भाषा पंजाबी।
जागा ज्ञान कुशंका भागी।।

अ अविनाशी सत्य है भाई।
जो सतनाम तुम्ही बतलाई।।

नाच भांगडा लंगर द्वारा।
सिख संगत गावे संसारा।।

वाहेगुरु सतनाम बताया।
छोड़ अहम ओंकार सिखाया।।

पंथ खालसा पंच ककारा।
कड़ कंघा कछ केश कृपाणा।।

पुरुष सिंह अरू नारी कोरा।
निर्भय निश्छल वीर कठोरा।।

अमरतसर सोने का मंदर।
गुरुग्रंथ साहिब ताके अंदर।।

अमरतसर का अमरत नीरा।
काटे रोग हरे सब पीरा।।

माथा टेके अरज अपारा।
दर्शन करते भगत हजारा।।

भज प्यारे सत श्री अकाला।
जो बोले सो होत निहाला।।

लंगर देखो जग से न्यारा।
भोजन पाता सबजग सारा।।

कवि मसान ने महिमा गाई।
गुरु की कृपा मिली है भाई।।

गुरुग्रंथ साहिब लखो, सब संतन को सार।
सद्गुरु मोरा राम है, कहत मसान विचार।।

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परिचय :- डाॅ. दशरथ मसानिया
निवासी :- आगर  मालवा म.प्र.


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