Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

शिव तत्व को आत्मसात करवाता नालागढ़ हिमाचल का प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर

प्रीति शर्मा “असीम”
सोलन हिमाचल प्रदेश
********************

देव-भूमि हिमाचल में जहां कण-कण में भगवान शिव विराजमान है। बस आपको अपने भीतर शिव तत्व को आत्मसात करने की आवश्यकता है। जब आप ईश्वर का साक्षरताकार पा जाते हैं तो फिर आप बाहरी आडंबर, उनकी परिकल्पना से परे हो जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में नालागढ़ क्षेत्र के अंतर्गत भगवान शिव का पंचमुखी शिव मंदिर का इतिहास सोलहवीं सदी के लगभग माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना की बड़ी ही रोचक कथा है कहां जाता है कि राजा नलसेन जो कि उस समय के राजा थे महल परिसर में शिव मंदिर की स्थापना करवा रहे थे, पहाड़ पर ले जाते हुए अचानक उनके हाथ से भगवान शिव का प्रतिरूप शिवलिंग छूट गया और नीचे चोए में गिर गया। चोया हिमाचली भाषा में पानी के उस स्त्रोत को कहते हैं जो पहाड़ी क्षेत्रों में बहता रहता है। इस मंदिर का एक अन्य नाम चोय वाला मंदिर भी है। कहा जाता है कि गिरते ही शिवलिंग पांच टुकड़ों में विभाजित हो गया। राजा को बहुत खेद हुआ और उसने इस चोय में पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना करवाई। मंदिर की शैली बहुत ही भव्य है मंदिर की हर दीवार पर मंदिर का ही छोटा प्रतिरूप अंकित है। मंदिर के चारों तरफ ऊपर शिवलिंग है और एक बड़ा शिवलिंग बिल्कुल ऊपरी भाग में है और एक शिवलिंग नीचे गर्भ गृह में है।मंदिर परिसर में भगवान शिव के सम्मुख नंदी की विशालकाय मूर्ति विराजमान है।
नंदी जी की प्रतिमा खड़े रूप में स्थापित है यह इसलिए भी अलग है क्योंकि ज्यादातर शिव मंदिरों में नंदी जी की शिवलिंग के आगे बैठी हुई मूर्ति ही विराजमान होती है लेकिन इस मंदिर में शिवलिंग के आगे नंदी जी की खड़े रूप में प्रतिमा है। माना जाता है कि जब सती माता के सती होने पर जब भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए थे तब नंदी जी ने खड़े होकर ही भगवान शिव का इंतजार किया था और सती के पार्वती रूप में अवतरित होने तक वह खड़े ही रहे थे। यह स्थल बहुत ही पवित्र और पावन है यहां ध्यान लगाने पर मंदिर के गर्भ गृह में ओम स्वर गुंजायमान होता है। एक सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण यह शिव धाम समस्त मनोकामना को पूर्ण करता है।

परिचय :- प्रीति शर्मा “असीम”
निवासी – सोलन हिमाचल प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *