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रहस्यमयी प्रेम

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भारती कुमारी (बिहार)

प्रेम की विस्मय में डूब गयी
आनंद विह्वल ह्रदय हो गयी
उज्जवल-सी लालिमा छा गयी
सौंदर्य-सुधा शीतलता में बरसती

सहस्त्र सिद्धि-सी जीवन विस्तृत हुई
अनायास मंद गति से प्रणय प्रेम
निमंत्रण देकर ज्वलंत उमंग में छाई
घूँट-घूँट पीते हीं अनहद नाद-सी
प्रेममयी ध्वनियाँ ह्रदय में उल्लास भरती

प्रेम स्पर्श पाती विह्वल ह्रदय हो जाती
निरंतर प्रणय की धार-सी बह जाती
गूँजती ह्रदय में रसमयी प्रेम ध्वनियाँ
प्रफुल्लित प्राण पुष्प-सी खिलकर

प्रेममयी प्रतिमा की दीप्त में खो जाती
रुधिर में आती कल्पनामयी विश्वास
प्रेममयी मधु-रस आमंत्रण देकर
रहस्यमयी प्रेम की अस्तित्व में खो जाती
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लेखक परिचय :-  भारती कुमारी
निवासी – मोतिहारी , बिहार


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