Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मेरी तमन्ना

**********

रुचिता नीमा

तमन्नाओं की महफ़िल सजाए बैठे है
हम सबसे हाल ए दिल छिपाए बैठे है
शिकवा करें भी तो किस से करे ए जिंदगी
हम खुद से ही बेवजह दिल लगाए बैठे है
.
बहुत कुछ पाया है तुझसे ये जिंदगी,
फिर भी खुद को लुटाए बैठे है।।।
हम सबकुछ पाकर के भी,,
कई ठोकर खाये बैठे है।।।।
अब शिकवा करें भी तो किससे करें ए जिंदगी
हम खुद से ही बेवजह दिल लगाए बैठे है।।।।
.
ये तमन्नाएँ भी हमारी ही थी ,,
और हम ही इनसे हार खाकर बैठे है।।।
जानते हुए कि सब कुछ नहीं मिला किसी को भी इस जहा में,,,
फिर भी उम्मीदों की महफ़िल सजाए बैठे है।।।।
अब कैसे समझाए इस दिल को
कि हम गलत अरमान जगाए बैठे है।।।।
.
बस एक उम्मीद का दीपक रोशन है,,
जो अंधेरे को दबाए बैठे है
हम उस दीपक से ही सूरज की आस लगाए बैठे है।।।
अब शिकवा करें भी तो किससे करें ये जिंदगी
हम खुद से ही दिल लगाए बैठे है।।।।।

.

.लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *