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मेरा साया

रचयिता : रुचिता नीमा

===========================================================================================मेरा साया

आज जब आईने में खुद को देखा
तो यकीन ही नही हुआ,,,
गाड़ी , बंगला सबकुछ था ,
पर जिसे होना था पास मेरे।।।
वो न जाने कहा खो गया था,
घिरा हुआ था दूसरों के साये से
खुद मेरा साया ही नही था।।।
बहुत खोजा उसे
लेकिन वो अंत तक नहीं मिला,
इस दुनिया की दौड़ में
मेने खुद को ही खो दिया।।।

अब पाना है बस खुद को
छोड़कर बाहर की जंग
जीतना है खुद से ही
करकर खुद को बुलंद

लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म 2 जुलाई 1982 आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।

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