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मेरा स्वाभिमान मेरे पापा

जितेन्द्र रावत
मलिहाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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हाथ में उनकी डोर।
मैं उड़ता गगन की ओर।
मेरे सिर पर पापा आपका हाथ रहे।
मेरा जीवन सदा आपके साथ रहे।

हाथ में उँगली लेकर, सामाजिक दुनिया देखी।
अपने स्नेह भाव से, मेरी तक़दीर लिखी।
मैं अक्षर, आप कितना बनके साथ रहे।

मेरे सिर पर पापा आपका हाथ रहे।
मेरा जीवन सदा आपके साथ रहे।

बन जाते मेरी ढाल, कसता कोई तंज।
ह्रदय इतना कोमल, शरमा जाए पंकज।
मेरे स्वाभिमान में, आपकी ठाट रहे।

मेरे सिर पर पापा आपका हाथ रहे।
मेरा जीवन सदा आपके साथ रहे।

प्यारी सी मुस्कान, लचीला है अंदाज।
कोयल से भी मोहक, लगती है आवाज़।
मेरी बातों में, आपकी ही बात रहे।

मेरे सिर पर पापा आपका हाथ रहे।
मेरा जीवन सदा आपके साथ रहे।

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परिचय :- जितेन्द्र रावत
साहित्यिक नाम – हमदर्द
पिता – राधेलाल रावत
निवासी – ग्राम कसमण्डी कला, मलिहाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – बी.ए (बी.टी.सी)
राष्ट्रीयता – भारतीय
भाषा – हिन्दी
जाति – हिन्दू
साहित्य में उपलब्धियां – अनेकों समाचार में प्रकाशित रचना एवं साहित्यिक मंच से सम्मानित

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