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मेरा प्रणाम

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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मेरे पूज्य पिता जी मेरा प्रणाम
अब आप सामने नहीं है।
फिर भी हृदय में उफान
आप नहीं लेकिन आप की अमर वाणी
आपकी त्याग की सरलता
आपकी सादगी हमें तथा आपके द्वारा
परिमार्जित परिवार में बिखर गया है।
आपकी ऋण से लद गई है
आपकी आत्मा से निकली आवाज।
शायद विलीन हो गई है पंचतत्व में
नश्वर शरीर के घेरे में जो था।
आपकी अनश्वर आत्मा अब भी
शायद उपकार में तल्लीन है
ऐसा आभास होता है।
लेकिन शब्द नहीं मेरे शब्दकोष में
सिर्फ याद की चंद लम्हों को।
जो मेरे जीवन में
आपके विगत जीवन का अंश मिला है।
भुलाए नहीं भूलता सृजन करता सा अभिभूत
वह साकार द्विय रूप।
नत-मस्तक है आज भी
आपकी याद मे मेरा रोम-रोम।

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परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


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