Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मेरी आरज़ू

निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

********************

११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१२
अरकान- मु-त-फ़ा-इ-लुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन

 

मेरी आरज़ू रही आरज़ू युँ ही उम्र सारी गुज़र गई।
मैं कहाँ-कहाँ न गया दुआ मेरी बे-असर ही मगर गई।।

की तमाम कोशिशें उम्र भर न बदल सका मैं नसीब को।
गया मैं जिधर मेरे साथ ही मेरी बेबसी भी उधर गई।।

चली गुलसिताँ में जो आँधियाँ तो कली-कली के नसीब थे।
कोई गिर गई वहीं ख़ाक पर कोई मुस्कुरा के सँवर गई।।

वो नज़र जरा सी जो ख़म हुई मैंने समझा नज़र-ए-करम हुई।
मुझे क्या पता ये अदा थी उनकी जो दिल के पार उतर गई।।

मेरे दर्द-ए-दिल की दवा नहीं मेरा ला-इलाज ये मर्ज है।
मुझे देखकर मेरी मौत भी मेरे पास आने में डर गई।।

ये तो अपना अपना नसीब है कोई दूर कोई करीब है।
न मैं दूर हूँ न करीब हूँ युँ ही उम्र मेरी गुज़र गई।।

ये खुशी निज़ाम कहाँ से कम कि हैं साथ अपने हज़ार ग़म।
ये ही ज़िंदगी है ये सोचकर हँसी आके लब पे बिखर गई।।

.

परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी
निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *