मनीषा शर्मा
इंदौर म.प्र.
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बदल देती सारे बिगड़े हालात है मेरी मां
थोड़ी सीधी साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
रखती है हिसाब किताब घर का वह सारा
पर भूल जाती है गिनती जब रोटी परोसती है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
डांटती है खूब झगड़ती भी है मुझसे
पर रूठ जाऊं तो मनाती प्यार से है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
चाहक उठता है घर का हर एक कोना
जब चूड़ी पायल छनकाती है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
बिन उसके बेजान है सारा घर परिवार
मेरे इस छोटे से घर की जान है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
अस्त व्यस्त है साड़ी और बिखरे से है बाल
फिर भी दुनिया में सबसे खूबसूरत है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
अन्न के दाने दाने में स्वाद भर देती
कभी दुर्गा तो कभी अन्नपूर्णा बन जाती है मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
बस यही प्रार्थना करती हूं तुझसे है भगवन
हंसती रहें गाती रहे और स्वस्थ रहे मेरी मां
थोड़ी सीधी-साधी थोड़ी चालाक है मेरी मां
बदल देती सारे बिगड़े हालात है मेरी मां
परिचय :- मनीषा शर्मा
जन्म : २८/८/१९८२
शिक्षा : बी.कॉम., एम. ऐ.
लेखन शुरुआत वर्ष : लेखन में रुचि बचपन से है
लेखन विधा : कविता ,व्यंग्य ,कहानी समसामयिक लेखन।
व्यवसाय : आकाशवाणी केंद्र इंदौर उद्घोषक
पता : इंदौर म.प्र.
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