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मेरा मन – नीला आकाश

सोनल पंजवानी
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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आसमान की मुट्ठी से इक
नीला सा सच निकला
जो कहता था
तुम चलो ना चलो
पर रहोगे साथ ही
मेरे ख़्वाबों और खयालों में
यूँ पलोगे साथ ही

एक तपिश से झूझता हर सच
कुछ न कर पाया
और मन की ओस ने
तुम्हे समेट लिया
दिल ने सराबोर कर दिया
इक मीठी याद से

अब तुम ही कहो
कैसे जा पाओगे
इस मन आँगन से
कि तुलसी की क्यारी और
आँगन की सौंधी मिट्टी तक में
तुम्हारी जड़ें सिमटी हुई हैं।

परिचय :- सोनल पंजवानी
शिक्षा : एम. कॉम, इंटीरियर डिजाइनिंग
जन्म : २९ जून
निवास : निपानिया, इंदौर (म. प्र.)
व्यवसाय : इंटीरियर डिजाइनिंग
रूचि : साहित्य पठन, चित्रकारी, म्यूरल, पेंटिंग्स, संगीत इत्यादि
सम्मान : इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान, बालाघाट की ओर से ‘कुल भूषण श्री’ अलंकार से सम्मानित, इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान, बालाघाट की ओर से ‘हिन्द केसरी श्री’ अलंकार से सम्मानित, इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान,बालाघाट की ऒर से ‘राष्ट्रीय विद्या विभूति विद्श्री’ अलंकार से सम्मानित
जेएमडी प्रकाशन की ओर से ‘नारी गौरव ‘ सम्मान प्राप्त
जेएमडी प्रकाशन की ओर से ‘प्रतिभाशाली रचनाकार’ सम्मान
जेएमडी प्रकाशन की ओर से ‘श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान’
जेएमडी प्रकाशन की ओर से ‘प्रेम सागर सम्मान’
जेएमडी प्रकाशन की ओर से ‘अमृत सम्मान’
इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान, बालाघाट की ऒर से ‘राष्ट्रीय काव्यदूत विद्श्री’ अलंकार से सम्मानित
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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