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मेरी मईया के द्वार

संगीता श्रीवास्तव
शिवपुर वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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मेरी मईया के द्वार ज्योति जली है
बड़ी रोशनी है बड़ी रोशनी है।
खुशी इस जहां मे कहीं और भी है,
नहीं है ,नहीं है ,नहीं है, नहीं है।

अंधेरे मे सिमटी रही जिन्दगानी,
बढ़े हैं कदम आज दर पे भवानी,
नहायी रोशनी से अब राहें मेरी हैं।
बड़ी रोशनी…..

क्या करे कंचन काया क्या करें लेके माया,
बिना भक्ति के व्यर्थ जीवन गंवाया,
रोकती राह क्यों बन्धनों की कड़ी है
बड़ी रोशनी…..

मन में श्रद्धा के दीपक जलाए हुए,
चले आओ दर मां के धाए हुए,
वो है करुणा मयी वो है वरदायिनी
दुख संताप तेरे सब हर लेगीं।
उनकी नज़रें इनायत सबपे रही हैं।
बड़ी रोशनी…….।।

परिचय :- संगीता श्रीवास्तव
निवासी : शिवपुर वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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