संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
********************
बेटी को जन्मदिन की
दिल से शुभ कामनाएं
और देता हूँ शुभ आशीष।
प्रगति के पथ पर चलकर
करो नाम अपना रोशन।
सबकी प्यारी सबकी दुलारी
तभी हृदय में सबके बसती।
और ख्याल सभी का बेटी
जो तुम दिल से रखती हो।।
घर आने पर दौड़कर
पास आ जाती हो।
सीने से लिपटकर प्यारी बेटी।
तुम दिलको खुश कर देती हो।
और अपनी प्यारी बातों से
दिल मेरा जीत लेती हो।।
थक जाने पर,
स्नेह प्यार से।
माथे को सहलाती हो,
और अपने स्नेह प्यार से
तुम थकन मिटा देती हो।।
कभी न कोई जिद की
किसी बात को लेकर।
कल दिला देंगे,
कहने पर मान जाती हो।
और छोड़कर जिद्द अपनी,
फिर सबके संग खेलने लगती हो।।
रोज़ समय पर माँ को
दवा की याद दिलाती हो।
और अपने हाथो से
अपनी मम्मी को खिलाती हो।
उसका दुख दर्द हर लेती हो।
और मम्मी की प्यारी बेटी
तुम बन जाती हो।।
घर को मन से और दिल से,
फूलो सा सजाती रहती हो।
उसे सुंदर बनाकर तुम
घर को सभाँल लेती हो।।
दु:ख होने पर भी तुम
खुशी-खुशी सहती रहती हो।
और खुशीयां बांटकर सदा
घर वालो को खुशकर देती हो।।
दूर होकर भी तुम
सदा पास रहती हो।
कर्तव्य अपना दिल से
बेटी तुम निभाती हो।
याद जब भी आये तुम्हारी
तो हृदय में एकदम आ जाती हो।।
मीलों दूर होकर भी बेटी
पास होने का एहसास दिलाती हो।
इसलिए तो नाना-नानी और
दादी-दादा को बहुत भाती हो।
मामा-मामी मौसा -मौसी और
चाचा-चाची बुआ-फूफा को
प्यारी तुम लगती हो।।
मम्मी पापा की अनमोल “हीरा”
जैसी तुम बेटी हो।
इसलिए हमारे दिल में बसी
तुम रहती हो।
इसलिए बेटी को सरस्वती,
दुर्गा और लक्ष्मी हम कहते है।
क्योंकि तुम सभी का
दिल जीत लेती हो।
ये कविता संजय अपनी
बेटीयों को समर्पित करता हैं।
और उन्हें ह्रदय से सफलता के लिए
शुभकामनाएं देता हूँ।।
परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.