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प्रियतम! अब तो आ जाओ

श्रीमती विजया गुप्ता
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश

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(राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता विरह वेदना में तृतीय विजेता रही कविता)

विरह व्यथा उग्र हुई
मनोभूमि व्यग्र हुई
छा जाओ मेघ बनकर
प्रियतम!अब तो आ जाओ!

दग्ध करता बहुत मनसिज
खिलना चाहे नेह सरसिज
प्रबल हुई पीर तन की
बन जलधार बरस जाओ
प्रियतम!अब तुम आ जाओ!
स्मृति के मेघ घुमड़ते
अश्रु बन फिर उमड़ते
पंथ तकते ये नयन थके
यह मिलन अमर कर जाओ
प्रियतम! अब तुम आ जाओ !
राह निहारूं मैं पिय की
किससे बात करूं हिय की
आकुल मन अति घबराए
हृदय कमल खिला जाओ
प्रियतम! अब तो आ जाओ !

परिचय : विवेक श्रीमती विजया गुप्ता
जन्म दिनांक : २३/१०/४६
निवासी : मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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