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मेरे कान्हा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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ये बांसुरी है सौतन मेरी‌,
लो इसको मैंने अलग किया,
आलिंगन में भर लो कान्हा,
मैंने तुम को समर्पण किया।

नैनो को ना मिलाओ तुम,
इसमें कजरे की धार नहीं,
हृदय में बसा कर मैंने तुमको,
है प्रेम की नई सौगात दी।

मन मंदिर में बसाकर तुमको,
वो राधा तेरे नाम हुई,
अब तो संभालो सांवरिया,
राधा प्रेम में बेहाल हुई।

अधरों पर बांसुरी सा रख लो,
क्यों ह्रदय में अब हलचल हुई,
वादा कर लो कान्हा मुझसे,
तू मेरा श्याम और मैं तेरी राधा हुई।

आलिंगन में भर के मुझको
अंजुली सा मेरा साथ बनो,
तुम बिन राधा बिल्कुल अकेले,
तुम धड़कन मेरे नाम करो।

चित चोर बने हो तुम कान्हा
हमको भी अपने सम भाग करो
आलिंगन में लेकर हमको,
मेरे अब तो घनश्याम बनो।।

परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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