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मेरे अधूरे स्वप्न

मेरे अधूरे स्वप्न

रचयिता : रुचिता नीमा

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कैसे बया करु मैं अपने उन जज्बातों को
जो तूफानो से उठा करते है
हरदम कुछ कर दिखाने को,
और फिर सब अंतर्मन को ध्वस्त करके
वही शांत हो जाते हैं

जब भीतर जाकर के देखा तो पाया
कुछ अनकहे, कुछ ख्वाब मे ही,
कुछ अधूरे , कुछ खाक से ही
दफन हो गए कई मेरे अरमान अकसर
और हम सम्हल ही न पाए
कि खुद को दे सके कोई अवसर,

डूब ही गए कई दिवा स्वप्न
मन के तूफानों की गहराई में,
जो सँजोये थे हमने भी कभी
आशाओं की अंगड़ाई में,

अबकि जो तूफान थम गया ,
नए स्वप्न उदित होने लगे,
मेरे मन की डाली पर
फिर से नव कोपल उगने लगे

अब फिर से नव पुष्प खिलेंगे
नव स्वप्नों से महक उठेंगे
मेरे मन की बगिया में
आशा की कोयल चहकेगी
नव जीवन की बेला महकेगी

लेकिन
नव तुफानो के आने से पहले
तुम अपनी तैयारी पूर्ण करो
अब विलम्ब न करो रुचि
अपने सपनो को पूर्ण करो
अपने सपनो को पूर्ण करो

लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म 2 जुलाई 1982 आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।

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