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मेरे पिता

डॉ. मोहन लाल अरोड़ा
ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा)
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मुझे था अपने पिता जी पर बहुत नाज
था कोमल मन और सदृढ आवाज
शांत स्वभाव और खुश मिजाज
ना कभी गुस्सा ना ही कभी नाराज

शायद मेरी हर बात जानते थे
मेरी हर नब्ज पहचानते थे
हर काम में सहयोग करते
और मेरी हर बात मानते थे

कड़ी मेहनत और लग्न से हमे पढाया
ऊँची शिक्षा दिला कर डाक्टर बनाया
आर्थिक, सामाजिक शिक्षा का ज्ञान बताया
धार्मिक और परिवारिक संस्कार का पाठ सिखाया

क्या लेना क्या देना का गणित समझाया
चोरी और झूठ से कोसो दुर भगाया
नीति और नियत का मतलब बताया
भूखे को रोटी असहाय की मदद का फर्ज सुनाया

मेरे गुरु मेरे मित्र थे मेरे पिता
मेरा अस्तित्व, मेरा मान, थे मेरी पहचान
मेरी माँ के माथे का सिंदूर, थी माँ की शान
स्पष्टवादी, राष्ट्रवादी थे नेक दिल इंसान

हे भगवान, हे पालनहार, हे दाता
मोहन करे बिनति मुझे हर जन्म
देना यही पिता… देना यही पिता
मेरे गुरू मेरे मित्र थे मेरे पिता ।।।

परिचय :- डॉ. मोहन लाल अरोड़ा कवि लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
निवासी : ऐलनाबाद सिरसा (हरियाणा)
प्रकाशन : ३ उपन्यास, ७२ कविता, ७ लघु कथा १२ सांझा काव्य संग्रह प्रकाशित, काव्याअंकुर मे ३७ रचना प्रकाशित
उपलब्धियां : मुलतानी साहित्य मे प्रसंशा पत्र, हिंदी रचनाओ मे बहुत प्रसंशा पत्र
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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