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मेरी बेटी

आनंद यादव
पुर्णिया (बिहार)

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यूंही छुप-छुप के जो
आंसू बहाए,
उनसा मत बनना,
मेरी बेटी…
जमाने के डगर पे
तुम नहीं चलना !
जमाना ये डराएगा,
जमाना रंग दिखाएगा,
हां करना सामना,
इस छली दुनिया से
नही डरना !

जमाने में
मिलेंगे कई तुमको
रोकने वाले,
जमाने में,
मिलेंगे कई तुमको
टोकने वाले,
नहीं रुकना नही थमना
नहीं तुम कभी भी झुकना
मेरी बेटी…
तुम अंतिम सांस तक,
उस गगन तक बढ़ना !

मेरी बेटी,
क्या कहते हैं सभी
सोचा नहीं करते,
मेरी बेटी,
फरिश्तों पर,
भरोसा नहीं करते,
जमाने में यही वो लोग है,
जो पीठ सहलाते,
मगर तुम याद रखना
वक्त पर धोखा यही करते !

प्रखर जो रवि सा हो,
तेज खुद में
वैसा तुम भरना
जिसका नाम ले हो
चौड़ा सीना,
काम वो करना ;
मेरी बेटी,
जमाना बुरा है,
बस युक्ति से चलना
मेरी बेटी..
जो आंचल साफ है,
मत मैला तुम करना !

मेरी बेटी
जमाने के डगर पे
तुम नहीं चलना,
जमाना ये डराएगा,
मगर फिर भी नही डरना !

परिचय :- आनंद यादव
निवासी : पुर्णिया (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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