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माता का आंचल

रवि कुमार
बोकारो, (झारखण्ड)

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माँ की पल्लु पकड़ आज
रो रहा हूँ मैं।।
प्यार भरी ममता आंचल मे
सौ रहा हूँ मैं।।

सपने में आया उड़ता परिन्दा
काट रहा था हाँथ मेरे।।
मानो माँ से कह रहा हो
छोड़ इसे चल साथ मेरे।।

माँ की ममता बहक गई,,
आँसु आँखो-से छलक गई।।
दूर खड़ी थी माँ मेरी
छूने से मुझको तरस गई।।

उड़ गया परिंदा नीले गगन में
ले गया माँ को साथ मेरे
आँख खुली तो पाया में
कोई नहीं अब साथ मेरे।।

परिचय : रवि कुमार
निवासी – नावाड़ीह, बोकारो, (झारखण्ड)
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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