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मां भारती की पीड़ा

रचयिता :  दिलीप कुमार पोरवाल “दीप” 

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मां भारती की पीड़ा

मैं हैरान थी, परेशान थी
मुझे लूटा था, जकड़ा था
उन धूर्त फिरंगीयों ने,
मुझे आजाद कराया मेरे वीर सपूतों ने,
तब मैं खुलकर हंसी चहकी थी,
मेरी उन्मुक्त खिलखिलाहट चारों ओर फैली थी,
मुझे गर्व होता था मेरे गांधी, जवाहर, सुभाष,
चंद्रशेखर, भगत सिंह जैसे वीर सपूतों पर,
मेरी लक्ष्मी जैसी वीरांगना बेटियों पर
तब मैंने देखे थे ख्वाब,
अब सब कुछ मेरा अपना होगा,
अब ना होगा कोई बेसहारा,
ना कोई भूखा सोएगा,
अब मेरे बच्चे कामयाब होंगे
अपना भविष्य बनाने में,
अब मेरी बेटियां फिर से मान-सम्मान पाएगी l
पर अब मैं हैरान हूं परेशान हूं,
अपने टूटते सपनों को देखकर क्यों,
क्योंकि अब मेरे अपने ही मुझे लूट रहे हैं
मेरी बेटियों की आबरू से खेल रहे हैं
मेरे बेटे एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं
अब मैं हैरान हूं परेशान हूं
मेरे अपनों से
मेरे अपनों से
मेरे अपनों से….

लेखक परिचय :- नाम :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल
माता :- श्रीमती कमला पोरवाल
निवासी :- जावरा म.प्र.
जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा
शिक्षा :- एम कॉम
व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड

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