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माँ तो माँ होती है 

संजय जैन
मुंबई

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मां का आँचल सदा,
स्नेह प्यार बरसात है।
बड़ी ही खुश नसीब होते,
जिन्हें ये प्यार मिलता है।
मां शब्द ही ऐसा है,
जिसमे पूरा ब्रह्मण्ड समाता है।
तभी तो माँ का कर्ज,
कोई उतार नही पता।।
जिसे मिलता है,
माँ की सेवा का अवसर।
वो संतान खुश नसीब होती,
जिसे मिलता है ये मौका।
दुनियां में सिर्फ मां ही,
ऐसी होती है।
जो अपनी संतान के लिए,
किसी भी हद तक चली जाती।।
माँ तो माँ होती है
किसीने नही देखे उसके रुप?
कब कौनसा रूप लेकर,
संतान को सक्षम बनाती है।
जब आती है उस पर विपत्ति,
तो ढाल खुद बन जाती है।
जिस ढाल को कोई योध्दा,
आज तक नही भेद पाया।
तभी तो माँ जगत जननी,
कहलाती है लोगो।।
बड़े ही पुण्य साली है,
जिनकी मां साथ होती है।।

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लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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