विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)
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जो रखती आँचल के छाव तले, जन्न्त हो जिसके पाँव तले,
अब ये मत पूछ वो क्या होती है,
माँ तो बस माँ होती हैं….
तुझे कोई जो, दुःख सताये है, उसकी आँखों से आंसू आये है।
हाथ पकड़कर चलना, बोलना जिसने तुमको सिखलाये है।
कभी उसकी प्रेम न बयां होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….
क्यों उसको तुम रुलाता है, क्यो उसको तुम सताता है,
मन ही मन वो मुस्काती है, जब तुझको गले लगाती है।
उसकी क्रोध में भी सब दया होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….
उस जग जननी की प्राण तो, तेरे ही अंदर बस्ती है,
तुहि उसकी दुनिया है, और तुहि उसकी हस्ती है।
दुःख हर ले तेरी जीवन की, उसकी आँचल में वो हवा होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….
सुना है बहुत न्यारी हैं, जिसने तुमको दुलारी है
हर दुःख पर वो तो भारी हैं, इस जग में सबसे प्यारी हैं।
दवा से बढ़कर भी तो उसकी आशीर्वाद और दुवा होती हैं,
माँ तो बस माँ होती हैं….
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