Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

माँ तो बस माँ होती हैं

विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)

********************

जो रखती आँचल के छाव तले, जन्न्त हो जिसके पाँव तले,
अब ये मत पूछ वो क्या होती है,
माँ तो बस माँ होती हैं….

तुझे कोई जो, दुःख सताये है, उसकी आँखों से आंसू आये है।
हाथ पकड़कर चलना, बोलना जिसने तुमको सिखलाये है।
कभी उसकी प्रेम न बयां होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….

क्यों उसको तुम रुलाता है, क्यो उसको तुम सताता है,
मन ही मन वो मुस्काती है, जब तुझको गले लगाती है।
उसकी क्रोध में भी सब दया होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….

उस जग जननी की प्राण तो, तेरे ही अंदर बस्ती है,
तुहि उसकी दुनिया है, और तुहि उसकी हस्ती है।
दुःख हर ले तेरी जीवन की, उसकी आँचल में वो हवा होती हैं,
माँ तो बस माँ होती है….

सुना है बहुत न्यारी हैं, जिसने तुमको दुलारी है
हर दुःख पर वो तो भारी हैं, इस जग में सबसे प्यारी हैं।
दवा से बढ़कर भी तो उसकी आशीर्वाद और दुवा होती हैं,
माँ तो बस माँ होती हैं….

 

परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज)

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *