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माँ सम्बोधन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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माँ सम्बोधन में मिठास है,
इसीलिए प्यारी लगती है।
माँ तो है ममता की मूरत,
बच्चों के सब दुःख हरती है।
माँ सम्बोधन…

प्रतिपल बस बच्चों की चिंता,
इसमें ही माँ को सुख मिलता।
बच्चा खा ले, बच्चा पढ़ ले,
माँ इसमें खपती रहती है।
माँ सम्बोधन…

माँ बच्चों की प्रथम गुरु है,
जन्म साथ सब काम शुरू है।
बच्चों के भविष्य के खातिर,
निज सुख त्याग किया करती है।
माँ संबोधन…

मेरी माँ मुझको प्यारी है,
गुस्से में लगती न्यारी है।
घर की खुशहाली के मित ही,
वो हर कार्य किया करती है।
माँ सम्बोधन…

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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