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माँ 

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रचयिता : कंचन प्रभा

वो महिला है, जो दर्प हो सकती है।
वो वनिता है, जो परित्यक्ता हो सकती है।
वो दुहिता है, जो अनाथ हो सकती है।
वो कलत्रा है, जो विधवा हो सकती है।
वो सलिल है, जो कृशानु हो सकती है।
वो निरधि है, जो व्याकुल हो सकती है।
वो ध्रुवनंदा है, जो मलिन हो सकती है।
वो सविता है, जो अस्त हो सकती है।
वो उर्वी है, जो नष्ट हो सकती है।
पर वो माँ है, जो निर्मम नहीं हो सकती है
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लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार

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