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रचयिता : श्याम सुन्दर शास्त्री
मेरी कविता हो तुम
मन विचार की सरिता हो तुम
विष्णु की रमा, शिव की उमा
कृष्ण की राधिका ,जगत जननी
जगदम्बा हो तुम
रिश्ते, परिवार, आचार विचार
जग के सारे व्यवहार
की शुचिता हो तुम
जाति-धर्म, संस्कृति , संस्कार
आगत स्वागत ,विगत विचार
दुनिया नहीं दुहिता हो तुम
वेद पुराण , बाइबिल, कुरान
सांई, नानक, गुरु ग्रंथ आख्यान
ज्ञान विज्ञान की गीता हो तुम
गंगा-यमुना, सरस्वती
सती, गौरी या पार्वती
रामायण की जनकनंदिनी
सीता हो तुम
यम , नियम, आसन , प्राणायाम
क्षिति, जल , पवन,समीर आसमान
हृदय कमल की सविता हो तुम
नव जीवन सृजन पालन पोषण
स्नेह, वात्सल्य, प्रेम, आलिंगन
ज्ञान की गायत्री गरिमा हो तुम
सप्तवर्ण, वार , सप्तर्षि,
सप्तसागर,सप्तविवाह संस्कार
सप्तलोक,सप्तस्वर की
रचयिता हो तुम
लेखक परिचय :-
नाम – श्याम सुन्दर शास्त्री
सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,)
मूल निवास अमझेरा
वर्तमान खरगोन
शिक्षा बी,एस-सी, गणित
अध्यात्म व विज्ञान में
पुस्तक , साहित्य वाचन में रुचि
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