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माँ

मुकेश गाडरी
घाटी राजसमंद (राजस्थान)

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माँ तु फूल की डाल है वो,
जो कभी ना मुजराने दिया मुझे।
सर्वप्रथम मुख देखा है मैंने तेरा,
तूने ही जन्म दिया है जो मुझे।
गिर ना जाओ माँ कहीं में,
चलना सिखाया है तूने मुझे।
तू ही गुरु तू ही अन्नपूर्णा है माँ……..

तूने खुशियां दी मुझे वो माँ,
कभी तेरे आंचल से दूर गया नहीं मैं।
जब रोता में माँ हँसाने का प्रयास करती तू,
आज बारी मेरी तो कैसे दूर छोड़ जाऊं मैं।
आशीर्वाद दे माँ तू मुझे अब,
सपने सच करने चलता हूं मैं।
तू ही लक्ष्मी तू ही वंदना हे माँ…….

परिचय :- मुकेश गाडरी
शिक्षा : १२वीं वाणिज्य
निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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