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माँ

अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन
महासमुंद

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ईश्वर का वरदान है माँ,
धरती पर भगवान है माँ
कोई उपमा न दे पांऊ मैं,
ऐसी महान् आत्मा है माँ।

माँ से पाया उजास सूरज ने,
माँ से पाई उंचाई आकाश ने
और गहराई प्रेम की सागर ने,
पाया है उसने भी दुलार माँ से।

बीजों में फूटते अंकुर में,
अग्नि से उठती ज्वाला में
पतझर में भी सावन का,
सा एहसास करातीं है माँ।

तुझे शब्दों में न बांध पाऊँ मैं,
क्योंकि तू ही पूर्ण शब्द है माँ

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परिचय :- अन्नपूर्णाजवाहर देवांगन
जन्मतिथि : १७/८/१९७६ छुरा (गरियाबंद)
पिता : श्री गजानंद प्रसाद देवांगन
माता : श्रीमती सुशीला देवांगन
पति : श्री जवाहर देवांगन
शिक्षा : एम.ए हिंदी, बी.एड., पी.एच.डी
सम्प्रति : शोधछात्रा
निवासी : राजेन्द्र नगर, महासमुंद
प्रकाशन : आंचलिक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
सम्मान : श्रेष्ठ सृजक सम्मान, साहित्य साधना सम्मान
अन्य : समाजसेवा, एन. जी. ओ. सदस्य

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