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माँ

जनार्दन शर्मा
इंदौर (म.प्र.)

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राम लिखा कीसी ने,
कीसी ने गीता लिखा
किसी ने बाईबल,
तो गुरुग्रंथ और क़ुरान लिखा,
जब बात हुई पूरी दुनियाँ को,
एक शब्द में लिखने की
तब मैंने हे”माँ” तेरा ही नाम लिखा,
माँ तेरा ही नाम लिखा,,,,

कैसे कहूँ कि माँ
तुम्हारी याद नहीं आती
चोट मुझे लगती थी,
आंखें तेरी भर जाती
मेरे घर न आने तक,
तेरी साँसे गले में ही
अटकी सी रह जाती थी।
कैसे कहूँ कि माँ तेरी याद नहीं आती,

कैसे कहूँ कि माँ तेरी याद नहीं रुलाती
आज भी ठोकर लगतीहैं, तो ओ,माँ,,,
कहकर मुझे तेरा ही अहसास दिलाती है,
कैसे कहूँ माँ मुझे तेरी याद नही आती।

तुमने ही जन्म देकर, इस दुनियामें लाया।
जीवन यह मां, मैने तुमसे उपहार मेंपाया।
मेरे जीवन का, हर पाठ मुझे तू ही पढ़ाती
कैसे कह दूं माँ मुझे तेरी याद नही आती।
शायद इसलिए सब कहते है… कि
माँ कबीर की साखी जैसी तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली सी माँ है ललित रुबाई-सी
माँ वेदों की मूल चेतना, माँ गीता की वाणी-सी
माँ द्वारे की तुलसी जैसी, माँ बरगद की छाया-सी
माँ कविता की सहज वेदना महाकाव्य की काया-सी।
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा सावन की पुरवाई-सी
माँ बसन्त की सुरभि जैसी बगिया की अमराई-सी।
माँ यमुना की स्याम लहर-सी रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा गोमुख की ऊँचाई-सी।
माँ ममता का मानसरोवर हिमगिरि-सा विश्वास है
माँ श्रद्धा की आदि शक्ति-सी हिमगिरी, का कैलाश है।
माँ धरती की हरी दूब-सीमाँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर माँ की छवि ही न्यारी है।
माँ धरती के धैर्य सरीखी माँ ममता की खान है
माँ की उपमा केवल है माँ है सचमुच में वो भगवान है,
सचमुच मे भगवान है….।

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परिचय :- जनार्दन शर्मा (मेडीकल काॅर्डीनेटेर) आशुकवि, लेखक हास्य व्यंग, मालवी, मराठी व अन्य, लेखन,
निवासी :- इंदौर म.प्र.
सदस्य :- अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद…
उपलब्धियां :- हिन्दी, मराठी नाट्य कलाकार व निर्देशन, विभिन्न भाषाओं में कार्यक्रम संचालन, टीवी.विज्ञापन व लघु फिल्म कलाकार, अंतर्राष्ट्रीय हास्ययोग एम्बेसेडर (गिनिज वर्ल्ड रिकार्ड), विश्व हास्ययोग फेडरेशन महासचिव, संगीत एवं मिमिक्री कलाकार, अखिल भारतीय कविसम्मेलन व अन्य साहित्य सम्मानो से सम्मानित! विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मे आलेख प्रकाशित।


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