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माँ

रंजना फतेपुरकर
इंदौर (म.प्र.)

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माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें
तुलसी के चौरे पर
मस्तक झुकाए हुए

जब भी हथेलियां उठीं
दुआओं के लिए
तुम्हारी पलकों पर हमारे ही
सपने सजे होते हैं
जब भी आँचल फैलाया
मन्नतों के लिए
तुम्हारे होंठों पर हमारी ही
खुशियों के फूल खिले होते हैं

जब जिंदगी अंधेरों में
घिरने लगती है
खामिशियों से भरी रातें
मंझधार में डुबोने लगती हैं
माँ, तुम रोशन करती हो
अंधेरों को
चाँद का दीपक जलाए हुए

माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें
तुलसी के चौरे पर
मस्तक झुकाए हुए

.

परिचय :-
नाम : रंजना फतेपुरकर
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
जन्म : २९ दिसंबर
निवास : इंदौर (म.प्र.)
प्रकाशित पुस्तकें ११
हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान सहित ४७ सम्मान
पुरस्कार ३५
दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित
देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित
अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर 
पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर


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