मां
रचयिता : लज्जा राम राघव “तरुण”
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जंगल में अपनी मां के साथ किलोल करते हुए हिरण शावक बहुत दूर चला गया था। हिरणी जितना उसका पीछा करती, वह उतना ही आगे बढ़ता जाता। अंत में वह एक ऐसे स्थान पर पहुंच गया जहां एक शेरनी आंखें बंद कर लेटी हुई थी तथा अपने शावकों को दूध पिला रही थी तथा ममता वश उन्हें चाटे भी जा रही थी।
अबोध हिरण शावक को क्या पता था कि “शेर और हिरण का कोई मिल नहीं होता,….. यदि होता भी है तो…… “बस भूख और भोजन का!”
जब हर ने उसका पीछा करते-करते वहां पहुंची तो यह दृश्य देख वह आतंकित हो उठी। हिरणी को समझते देर न लगी कि “अब तो उसके बच्चे की जीवन लीला कुछ ही क्षणों में समाप्त होने वाली है!” यह सोच कर वह अंदर तक हिल गई थी। ….. “परंतु.. कर भी क्या सकती थी?” अब वह अपने बच्चे के पास जाने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।…. “क्योंकि.. सामने साक्षात मौत दिखाई दे रही थी।”
इतने में ही हिरण शावक शेरनी के बिल्कुल पास ही जा पहुंचा था। आहट पाकर शेरनी ने आंखें खोलीं,… शावक को देखा,.. झुर झुरी ली,.. और तुरंत खड़ी हो गई।
शेरनी की दहाड़ से सारा जंगल गूंज उठा था। एक बारगी तो उसके दिल में आया कि, “शिकार खुद चल कर उसके पास आ गया है।” वह शावक पर झपटने ही वाली थी कि, अचानक उसकी नजर दूर खड़ी हिरणी गई, ……जो थरथर कांप रही थी, तथा उसकी आंखों से निरंतर आंसू बह रहे थे। यह दृश्य देख शेरनी की ममता जाग उठी।….. और,… ममत्त्व भरी एक नजर हिरण शावक पर डाल,… वह अपने बच्चों को ले, विपरीत दिशा में चल दी।
…क्योंकि,…. “आखिर वह भी तो एक “मां” ही तो थी।”
परिचय :- नाम :- लज्जा राम राघव “तरुण” जन्म:- २ मार्च १९५४
शिक्षा :- एम. ए. (हिंदी अंग्रेजी) बी. एड.,बी. ए. (हिंदी ऑनर्स) लेखन:- कविता, लघु कथा, कहानियां, गजल देश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित ।
प्रकाशन :- “आंखें देखी लघु कथाएं” लघुकथा संग्रह
“रुको तो सही एक बार” काव्य संग्रह।
“आग़ाज़” गजल संग्रह।
पुरस्कार :- १. वर्ष २००४ में “महाराष्ट्र दलित साहित्य अकादमी” द्वारा “प्रेमचंद पुरस्कार”
२००८ में शिक्षा क्षेत्र व दहेज विरोधी आंदोलन में उत्कृष्ट कार्यो के लिए “दहेज विरोधी सम्मान”
शिक्षा के क्षेत्र में डीएवी संस्था द्वारा सम्मान पत्र
२६ जनवरी २०१२ को शिक्षा के क्षेत्र, व जनसंख्या कार्य में उत्कृष्टता के लिए जिला प्रशासन व हरियाणा सरकार द्वारा “रजत- पदक” से सम्मानित
१५ अगस्त २०१३ को शिक्षा के क्षेत्र व अन्य कार्यों में उत्कृष्टता के लिए हरियाणा सरकार द्वारा “राष्ट्रपति रजत-पदक” व “प्रशंसा- पत्र” से सम्मानित।
२०१४ में शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए “भगत श्री मेवालाल मेमोरियल ट्रस्ट” द्वारा “राष्ट्र निर्माता सम्मान” से सम्मानित।
२०१७ में आर .डब्ल्यू.ए. सेक्टर- ५५ फरीदाबाद द्वारा “फरीदाबाद गौरव” सम्मान
२०१८ में सर्व भाषा ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा “सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्मान” से सम्मानित ।
संप्रति:- हरियाणा शिक्षा विभाग से प्रवक्ता अंग्रेजी के “राज प्रत्रित” पद से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन।
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