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मच्छर और मैं

पवन मकवाना (हिंदी रक्षक)
इंदौर मध्य प्रदेश

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खाली बैठा
घर में खुद से
हो दो चार रहा था
जाने क्यूँ
गुस्सा मेरा
आसमाँ सातवें
पार रहा था।

इलेक्ट्रिक मॉस्किटो बेट से
घर के मच्छर मार रहा था।
या यूँ कह लो उन
तुच्छ प्राणियों को
इस भव सागर से तार रहा था।
कलयुगी वैतरणी
पार करके उनको
खुद को कृष्ण
मान रहा था।

तभी एक छोटा मच्छर
मेरे कान में
धीरे धीरे
सरकने लगा।
माथा ठनका
मन घबराया
दिल जोरों से
धड़कने लगा।

वो जोरों से दहाड़ा
कान में मेरे
मेरा सर मानो
फटने लगा।
उसने जो काटा
कान में मेरे
सर चकराया
बाँयां बाजू फड़कने लगा।
फिर जादू क्या हुआ
परमात्मा जाने
मैं मच्छर भाषा
समझने लगा।

अब मैं बैठा था
घर के कोने
मच्छर भी थे
ओने – पोने
पर आ गए अचानक
सैंकड़ों मच्छर।
मुझे समझाने लगे
की सुन बे ओ खच्छर।

हम दुश्मन नहीं
सोश्यलिस्ट हैं।
देश में समानता लाने में
बस हमीं फिट हैं।
अमीरों -और गरीबों में
हम फर्क नहीं करते।
जब जो मिल जाए
उसी को डंक भरते।

ऊंच नीच के भेद भाव में
ना तुम दुनिया को कुंचो।
हिन्दू मुस्लिम का
रक्त एक है
पता करना है तो
हमसे पूछो
हमसे सीखो
हम मच्छर हैं
हमारी जात है
ना पात है।
बस एक ही
पते की बात है।

हम एक बून्द
खून के लिए तुम्हें
डंक चुभोते हों भले।
पर हम उन नेताओं
कि तरह भी तो नहीं
जो वर्षों तुम्हारा
खून चूसते रहें
और तुम्हे
पता भी ना चले।

हमारे एक छोटे से
डंक कि चुभन पर
तुम हमे मार देते हो।
ओर जो पॉंच वर्षों में
तुम्हे ना जाने कितने
भ्रष्टाचार और घोटालों
के डंक देते हैं
उन्हें उपहार में
केंद्र सरकार देते हो।

कम से कम हम
उनकी तरह तो नहीं
जो वोटों कि खातिर
भाई को भाई से
लड़वाते हैं।
भले भूखी नंगी
मरे देश कि जनता
खुद ऐसी कार में आते हैं।
पॉंच साल नहीं पूछते तुमको
महंगाई का
कड़वा ज्यूस पिलाते हैं।
महलों बंगलों में
ऐश हैं करते
बस चुनावों में
दुम हिलाते हैं।

लेकिन हम इनकी
तरह नहीं हैं भाई
फिर तुम क्यूँ
बनते हो कसाई?
हमारी बात जो समझना आई।
तो समझलो तुमने
मुँह कि खाई।

अरे एक हमीं तो हैं
जो इस दुनिया में
भाईचारा बढ़ाते हैं।
हिन्दू का खून मुस्लिम में
मुस्लिम का खून हिन्दू में
हमीं तो हैं जो मिलाते हैं।
इस दूसरे का
खून मिलाकर
भाईचारे को बढ़ाते हैं।
दुश्मनों को भी दोस्त बनाते हैं।

जो ना समझा
तू बात हमारी
तो वो करके दिखला देंगे।
हैं अपनी ओकात बता देंगे।

तेरा खून तेरी पत्नी में
और तेरी पत्नी का खून
तेरे शरीर में पंहुचा देंगे।
दोनों का खून मिला देंगे
तुम्हे भाई बहन बना देंगे….
तुम्हे भाई बहन बना देंगे….

 

परिचय : पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक)
जन्म : ६ नवम्बर १९६९
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति : संस्थापक- हिन्दी रक्षक मंच
सम्पादक- hindirakshak.Com हिन्दीरक्षकडॉटकाम
सम्पादक- divyotthan.Com (DNN)
सचिव- दिव्योत्थान एजुकेशन एन्ड वेलफेयर सोसाइटी
स्वतंत्र पत्रकार व व्यावसाइक छायाचित्रकार


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