
मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.
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से बलशाली नीति,
नैतिक बल के सामने,
टिकती नहीं अनिती।
व्यक्ति जाति या राष्ट्र हो,
होता उसका नाश,
जो अनिती पथ पकड़ता,
है साक्षी इतिहास।
नैतिक बल से आत्म बल
है संवद्ध घनिष्ठ,
टका एक दो पृष्ठ है,
किसे कहें मुख पृष्ठ।
है यदि सच्ची नीति तो,
वहीं धर्म आधार,
ठहर न सकता धर्म है,
जहां न नीति विचार।
सब धर्मों को देख कर,
गोर करें यदि आप,
तो पायेंगे नीति का,
सब मे अधिक मिलाप।
अचल नियम है नीति के,
अचल न चक्र विचार,
मत विचार है बदलते,
नीति धर्म आधार।
निर्भर करता नियत पर,
नीति अनिती कलाप,
शुद्ध हर्द्रय सदभावना,
मूल्यांकन का माप।
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