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चाँदनी रात

अर्चना मंडलोई
इंदौर म.प्र.

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(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता “प्रीत की पाती” में प्रेषित कविता)

जैसे ही चाँद पर
ठहरती है नजर
यू ही याद आ जाते हो तुम
चाँद के चमकिले उजास में
आसमान की सतरंगी
परिधि के बीच
जैसे ही तुम्हारा अक्स
नजर आने लगता है
तब लगता है
चाँद और मेरे बीच
एक अनकहा रिश्ता है।
उसके सौन्दर्य मे मै
अपने सपनो को निहारती हूँ
मन के आकाश मे घुमते
मेरी अधूरी कामनाओं के बादल
मेरी सपनीली आँखों में
मधुर स्मृतियों के चित्र बनाते
और क्षण भर में
चाँदनी की तरह फिर बिखर जाते।।

परिचय : इंदौर निवासी अर्चना मंडलोई शिक्षिका हैं आप एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं आप एम.फिल. पी.एच.डी रजीस्टर्ड हैं, आपने विभिन्न विधाओं में लेखन, सामाजिक पत्रिका का संपादन व मालवी नाट्य मंचन किया है, आप अनेक सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं में सदस्य हैं व सामाजिक गतिविधियों मे संलग्न।


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