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चाँद से चेहरे

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रचयिता : रीतु देवी

न आए कभी शिकन चाँद से चेहरे पर,
देख उसे अंग-अंग होता मेरा तर।
मुसीबतें सारी निगल जाऊँ पल भर में
बस जाऊँ उसके मन मन्दिर में
वारती उस चाँद पर अपना सर्वस्व,
बंध गया दिल उससे अपना स्वत्त्व।
लगन लगी प्रीतम संग सुबह-शाम,
होठों पर रहे सिर्फ उनका नाम,
प्रेम रस पी रहे हर्षित हरदम,
प्रेम गली मस्त रहे बनकर हमदम।
जहां में जाए कहीं भी,
सूरज की तपिश न सताए कभी।

 

लेखीका परिचय :-  नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार

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