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सावन का महीना

मईनुदीन कोहरी
बीकानेर (राजस्थान)

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ये सावन का महीना
ये चंचल जवानी ।
जा के शुरू करें,
कहीं अपनी प्रेम कहानी ।।

ये मन्द – मन्द मदमाती
गगन में घनघोर घटाएं ।
दिल यूँ कहता है,
जाके बसाएं कहीं प्रेम नगर रांनी ।।

रिमझिम-रिमझिम सावन के बादल
बरसा रहे हैं पानी।
मुस्कानों की आंधी में छुप जाओ,
मेरी बाहों में आकर रांनी ।।

भीगी पलकें – भीगे गेसू
गोरे मुख से टपक रहा पानी ।
चिलमन से पलकें गिराके,
आहों की बाहों में आजा रांनी ।।

चमक-चमक के बिजली चमके
गालों पे गिर निहारे गोरी को पानी ।
सावन की भीनी भीनी-ठंडी ठंडी,
हवाएं अठखेलियां आँचल से करे रानी ।।

आंखों का काजल-होठों की लाली
गिर के यूँ तडप जगा रहे ।
साजन से कहे सावन के बादल,
दिल की प्यास बुझा लो संग रानी ।।

परिचय : मईनुदीन कोहरी
उपनाम : नाचीज बीकानेरी
निवासी – बीकानेर राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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