ममता रथ
निवासी : रायपुर
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सीमा का मन आज बहुत उदास है, पति राजेश के बार-बार समझाने पर भी वो समझ नही रही की उसकी इकलौती बेटी उसे तुक्ष्छ मानती है । आज सीमा की बेटी मिताली के दोस्त घर आए थे। सीमा के व्यवस्थित घर व खाने की सभी ने खूब तारीफ की, सीमा ने भी कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी ,पर बात जब अंग्रेजी भाषा बोलने की आई तो सीमा मात खा गई। दोस्तों के जाते ही मिताली मां पर बरस पड़ी, पता नहीं आज के ज़माने में आप जैसे पिछड़े लोग कहा से आ गए हैं, मेरे दोस्त क्या सोच रहे होंगे। मन्नतो के बाद मिली बेटी पर नये जमाने का रंग चढ़ गया था।
रात कटनी थी कट गई। मिताली अपने विश्वविद्यालय जल्दी चली गईं, सीमा भी काम में व्यस्त हो गई।
मीताली कल की बात से दुखी हो सभी से नजरें चुरा रही थी। आज विश्वविद्यालय में बहुत भीड़ थी, आज कवि सम्मेलन था। सभी मंच के पास पहुंच गए। मंच पर अपनी मां को देख कर मिताली चौक गई। उसे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि उसकी मां एक बहुत बड़ी लेखिका है। उसकी किसी अलग नाम से लिखती थी, ये वही लेखिका थी जिनकी कविता, कहानी, लेख की मिताली दिवानी थी। मिताली कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे बधाई देने का सैलाब उमड़ पड़ा। उसकी मां मंच से उसे ही निहार रही थी। मीताली को खुद से घृणा होने लगी। उसने आधुनिक बनने के चक्कर में हर बार अपनी मां का तिरस्कार किया। आज मिताली मां के पैरों में गिर कर माफी मांगी। मां ने उसे गले लगा लिया।
परिचय :- ममता रथ
पिता : विद्या भूषण मिश्रा
पति : प्रकाश रथ
निवासी : रायपुर
जन्म तिथि : १२-०६-१९७५
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
सम्मान व पुरस्कार : लायंस क्लब बिलासपुर मे सम्मानित, श्री रामचन्द्र साहित्य समिति ककाली पारा रायपुर २००३ में सांत्वना पुरस्कार, लोक राग मे प्रकाशित, रचनाकार में प्रकाशित
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