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मोबाईल महिमा

मोबाईल महिमा

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रचयिता : भारत भूषण पाठक

नहीं होता है तबतलक  सवेरा ।
धरे मोबाईल जबतलक न इन्सान ।।
रात से दिन तक जब तक न थकले।
मोबाईल पकड़ा रहता है इन्सान ।।
छुप-छूपाकर वॉट्सऐप खोले।
मैशेज देख ही कुछ भी बोले।।
पहले मोबाईल को खोले सुबह-शाम।
तब ही कर सके कोई भी दूजा काम।।
मिल जाए कोई त्योहार या छुट्टी ।
चाहे दुनिया से ही हो जाय कुट्टी ।।
मैशेज टपक रहे हैं हर पल तड़-तड़।
मानो बह रही हो झरना कल-कल।।
सर पे परीक्षा का फूटने को चाहे ही हो बम।
पर वाट्सएप ग्रुप में दिखना है हरपल हरदम।।
माता-पिता हैं खूब हरदम गुस्साते।
परीक्षा के भय से प्रतिदिन खूब डराते ।।
नेत्रज्योति चाहे होता जाय हरपल गौण।
सोशल मीडिया पर रहना ही है औण।।
लेखक परिचय :- 
नाम – भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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