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याद आती है बहुत आपकी

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दीपक्रांति पांडेय

याद आती है बहुत मुझे आज कल आपकी,
आप भी तो कभी मुझे याद कर लिया करो,
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मजबूरियों ने थामा है मेरा दामन जाने कब से,
ज़रा कभी आप भी मजबूरियाँ समझा करो,
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फोन करूं जब भी,बात मुझसे करो ना करो,
अपने होने का एहसास तो करा दिया करो,
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याद आती है बहुत मुझे आज कल आपकी,
आप भी तो कभी मुझे याद कर लिया करो,
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बोलना बहुत कुछ था आपसे,जो बोल नहीं पाती!
कभी खामोशियों की ज़ुबा भी तो  समझा करो,
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ग़में उल्फ़त हीं,दामन में छोड़ गए हो,ऐसा क्यों?
कहते हो सदा,आकेले हैं,तो आधे हैं तुम बिन,
अब कुछ तो ग़म हमारा तुम साझा किया करो,
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याद आती है बहुत मुझे आज कल आपकी,
आप भी तो कभी मुझे याद कर लिया करो,
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लेखिका परिचय :-  दीपक्रांति पांडेय रीवा मध्य प्रदेश


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