डॉ. बी.के. दीक्षित
इंदौर (म.प्र.)
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मन सभी का… लंबी सज़ा पा गया।
ज़माना कहाँ था……कहाँ आ गया।
जो दिखता नहीं, अजब दुश्मन हुआ।
काम आती न मन्नत…..न कोई दुआ।
बंद भगवान हैं,…..क़ैद पूरा जहां।
वो कण कण में है तो..जाएं कहाँ।
मास्क मुँह पर लगा, न चेहरा दिखे।
पुलिस भी नहीं,……पर पहरा दिखे।
इस चमन में आकर दिल भर गया।
दुष्ट कोरोना क्या से क्या कर गया।
पाव भाजी जलेबी….. न पोहे बिके।
चाट चौपाटी चौपट… न कोई दिखे।
चटोरा शहर, पर स्वाद फ़ीका लगे।
घर में राशन भरा… मन रीता दिखे।
बाहर निकला है बिजू,अच्छा लगा।
प्रकृति प्रीति का साथ सच्चा लगा।
परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण की व् आप गत ३६ वर्ष से इंदौर में निवास कर रहे हैं आप मंचीय कवि, लेखक, अधिमान्य पत्रकार और संभावना क्लब के अध्यक्ष हैं, महाप्रबंधक मार्केटिंग सोमैया ग्रुप एवं अवध समाज साहित्यक संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak।com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान
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