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मिलन यामिनी

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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कहीं बादल गरज रहे
कहीं दमक रही दामिनी
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसी मिलन यामिनी
तरु पल्लव भी
मुखरिततो हो गए
पागल लताओं का संबल
दूर कहीं भाग रहे मेघों के
संगम तुम तुम आए नहीं
मैं बांट रही जोहती
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसे मिलन यामिनी

तराजू में पंकज भी
सिर झुकाए बैठ गए
खग वृंद भी अपने
घरों को लौट गए
मैं खड़ी द्वार पर
प्रतीक्षा थी कर रही
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसी मिलन यामिनी

नीरज तरंगे भी
टकरा रही कूल से
अभी भी झूम रहे
पाकर मधुपुष्प से
कुमकुम रोली लिए
मैं सजा रही आरती
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसे मिलन यामिनी

दामिनी की धमक से
मेघ बोखला गए
बरसा कर अमृत करण
इंद्र छटा दिखा गए
मैं भी गाती रही पुष्प लिए सारथी
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसे मिलन यामिनी

देखो अब मैंघो ने
प्रृषठ् भाग दिखा दिया
इंद्र धर्म के सप्तरंग लिए
अंबर पर छा गया
मैं तुम्हारे आंगन में
दीप सजाती रही
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसे मिलन यामिनी

देखो अब अंबर भी
स्वच्छ साफ हो गया
बादल भी छठ गए
अंधेरा भी सिमट गया
आ गई आगोश में
मंद पवन श्याम की
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसे मिलन यामिनी

वसुधा भी सींच गई
वृष्टि हुए नीर को
धीरे-धीरे मिलकर
निर्मित हुआ पंक को
पर तुम ना आए मेरी
आरजू रही अधूरी
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसी मिलन यामिनी

मंद पवन बिखरा रही
गध बकुल पुष्प की
धरा अवनी उड़ा रही
सोंधी गंध माटी की
सब कोई मिल चुके
मैं रह गई अकेली
तुम कहीं हम कहीं
यह कैसी मिलन यामिनी
यह कईसे मिलन यामिनी…

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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