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जिन्दगी से मुलाकात हो गई

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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मौतों के शहर में
हम रहते थे जहाँ
एक रोज जिन्दगी से
मुलाकात हो गई
हर एक सांसों की
होती है गिनतीयाँ जहाँ
पैदा हुए थे जिस पल
शुरुआत हो गई
सूरज की रोशनी से
चकाचौंध थी आँखें
जब देखने लगे तो
फ़िर रात हो गई
सारी उम्र बूँदों के लिये
तरसते रहे हम
आंखें जो बंद हुई तो
बरसात हो गई
देखकर हर तरफ
बरबादियों का मंजर
लगता है आज खफा
कायनात हो गई
इस दिल को मैंने
लाख समझा रखा था
पर सामने जो देखा
तो वही बात हो गई
पूछने चला था मैं
पता “सुकून” का
लोग कहने लगे कि
तहकीकात हो गई

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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