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सुरेश चंद्र भंडारी
धार म.प्र.
आओ याद करे कुछ यादें खट्टी मीठी सी
मनमौजी रीती इठलाती अलबेली जैसी।।
जो तन मन जीवन अंतर्मन महकाती है,
चुपके से कानो में कुछ कह जाती है।।
यादें जब निकल चली गलियारों में,
खिला हुआ बचपन चौतरफा राहो में।
यादगार पल मिल जाते भावनाओ में,
हकीकत गुजर जाती है उलाहनों में।।
ये समय तो हरपल चलता रहता है
उषा और संध्या में तो उगता ढलता है।
मन भी तो पंख लगाकर उड़ जाता है,
जो कुछ यूं ही पल दर पल छलता है।।
वक्त जो बीत गया फिर नहीं आएगा,
अतित तो स्मृतियों में ही रह जायेगा।
मुड़कर देखोगे जब पीछे कह जायेगा।
हाँ मन तो तब व्याकुल हो पछतायेगा।।
हम स्मृतियों में यूँ क्यों खो जाते है,
वर्तमान पर यूँ क्यों सिसक जाते है।
भाग्य भरोसे यूँ क्यों स्वयं को भूल जाते है।
प्रबल पुरुषार्थ पर यूँ क्यों रोते जाते है।।
स्मृति के स्वर्णिम पल आंखे खोलो देखो,
करो अंगीकार सुखद सलोने वर्तमान को।
यह प्रारब्ध तकदीर अहसास दिलाने को।
यादेअनुभूति बने अच्छा दिखलाने को।।
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परिचय : सुरेश चंद्र भंडारी
जन्म दिनांक : ०८-०१-१९५७
निवासी : धार म.प्र.
शिक्षा : विक्रम विश्व विद्यालय के अन्तर्गत शासकीय महाविद्यालय धार से एम्. कॉम (पूर्वार्ध) एवं विधि द्वितीय वर्ष की परीक्षा १९८१ में
व्यवसाय : वर्ष १९८१ से आयकर एवं वाणिज्यकर परामश दाता का कार्य
विगत वर्षों में सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं तथा राजनितिक दल में अनेक उत्तरदायित्व का वहन किया गया।
लेखन : स्वान्त सुखाय
प्रकाशन दैनिक समाचार पत्र साप्ताहिक एवं मासिक पत्रिकाओं में अनेक लेख और कविताएं एवं गीत का प्रकाशन
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