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यादें मेरे गांव के

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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यादें मेरे गांव के आने लगे हैं,
मिट्टी मेरे गांव के बुलाने लगे है
बचपन की यादें, बसी हैं गांव में,
खेले हैं खेल बरगद की छांव में

यादें मेरे गांव के आने लगे है…!

पहली बारिश में जमकर नहाना
घर की छत से पतंग को उड़ाना
नदि, नहर में डुबकियाँ लगाना
कागज की नाव पानी में बहाना

यादें मेरे गांव के आने लगे है…!

रेत में अपना आशियाना बनाना
किचड़ में मस्ती से खेल खेलना
हाथो से मिट्टी के खिलौने बनाना
बरगद के बरोह में झूला झुलना

यादें मेरे गांव के आने लगे है…!

पेड़ो, पौधों में पक्षी का चहकना
घर आंगन में तुलसी का महकना
गर्मी में घर के आँगन में सोना
ठण्ड के दिनों में अलाव जलाना

यादें मेरे गांव के आने लगे है…!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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