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साधना

भारती कुमारी
मोतिहारी (बिहार)

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थाल सजाए पूजा की,
तेरे दरपे प्रभु आई।
ध्यान लगाएं कब से,
क्षण-क्षण जो बिताएं।।

पल-पल भी बीत रहे,
जीवन भी सब रीत रहे।
समझ ना तुम प्रेम पाये,
बैठी हूँ तेरा ध्यान लगाएं।।

आवोगे कब सन्मुख मेरे,
मैं मतवाली प्रतीक्षा करती।
ध्यान लगाएं जीवन बिताएं,
हर पल प्रयत्न करते जाते।।

आशा की कलियों से खेलती,
देखती तेरी मधुमय मुँख को।
ध्यान जब तेरे चरणों में लगाती,
पहचान प्रिये मैं तुझसे हीं पाती।।

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लेखक परिचय :-  भारती कुमारी
निवासी – मोतिहारी , बिहार


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