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मतलब

रचयिता : मित्रा शर्मा

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मतलब

वह बिना पैसे का चौकीदार था। दिन रात घर की रखवाली करता और बदले में दो टाइम सूखी रोटियां खा कर घर के सामने पड़ा रहता था। पिछले कुछ दिनों से वह गली का कुत्ता बीमार होने लगा। घर की गृहणी ने अपना फर्ज समझ उसे डॉक्टर को दिखाया। वो कोई बड़ा नस्ल या खरीदा हुआ नही था इसलिए उसकी दवाई पर पैसे खर्च करना परिवार को खूब खटकता। उसकी बीमारी की वजह से पड़ोसियों को भी परेशानी होने लगी। वे बोलने लगे इसके कारण सबको तकलीफ हो रही है आप पाप की भागीदार बन रही हो इसको कहीं दूर ले जाकर छोड़ दो। उसकी रुलाई फूट गई, घर में उसके पति भी बार बार कहरहे थे पैसे खर्च करवाता है कभी कोई आए भोंकता तो है नही। अब की बार तो इसे कहीं छोड़कर ही आऊंगा।
वो सोचने लगी कैसी स्वार्थी दुनिया है बेचारा चौकीदारी करता था तब तक सबको अच्छा लगता था। फिर उसे विचार आया…… इस दुनिया में तो जब मां-बाप काम के नहीं होते हैं उन्हें भी वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया जाता है इस बेचारे कुत्ते की क्या बिसात।

परिचय : मित्रा शर्मा

महू (मूल निवासी नेपाल)

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