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मजदुर

मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.

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ब्रह्म मुहूर्त में
नींद से जागता है।
चिलचिलाती धूप में
भी कर्म करता रहता है।
घड़ी भर आराम की
उसे नहीं परवाह।
वह तो मंदिरों के
आकार गढ़ता है।
ईंट और पत्थरों में
जूझता है।
बड़ी-बड़ी
अट्टालिकाओं को बनाता है।
उसे नहीं होती
कभी अपनी परवाह।
वह तो मस्ज़िद और
गिरजाघर बनाता है।

मेहनत कर
खून पसीना बहाता है।
रूखी सूखी खाकर तुरंत
तृप्त हो जाता है।
सुख से हंसने की
उसे कहां परवाह ।
वह तो पत्थर में
भी झरने बहाता है।

धूप, बारिश, ठंड में
कहां ठहरता है।
खेतों की लहराती
फसलों में झूमता है।
अपनी काया की
उसे कहां परवाह।
वह तो मिट्टी में
सोना और चांदी उगाता है।

 

परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य 


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