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अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो

रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.

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भारतवासी सुमन, वतन है उपवन अपना भारत!
प्यारा घर है भारत अपना, आँगन अपना भारत!
सारे जग में है सबसे मनभावन अपना भारत!
सकल सृष्टि में इसकी सौरभ,चन्दन अपना भारत!

भारत वर्ष स्वतंत्र अमर हो!
अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो!

रहे पक्षधर सदा अम्न के,नहीं किसी पर किया आक्रमण!
विवश किया गया जब हमको,किए शस्त्र तब हमने धारण!
सदा विजय के झंडे गाड़े, लड़े नहीं हम कभी अकारण!
अमर शहीदों की जय गाथा, गाता रणभूमि का कण-कण!

‘सत्यमेव’ का मंत्र अमर हो!
अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो!

‘जनता द्वारा जनता हेतु जनता का’ यह त॓त्र हमारा!
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई, सबका है यह देश सहारा!
सब मिल-जुल हो गए एक,जब-जब हमलावर ने ललकारा!
अपनी संगठन शक्ति से ही, दुनिया का हर दुश्मन हारा!

राष्ट्र प्रेम संयत्र अमर हो!
अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो!

दायित्वों-अधिकारों का समिश्रण अपना संविधान है!
दुनिया भर में किसी राष्ट्र में कहीं न ऐसा संविधान है!
मानवतावादी हितरक्षक सबसे अच्छा संविधान है!
है कठोर न जटिल कहीं भी बहुत लचीला संविधान है!

‘सभी सुखी हों’ मंत्र अमार हो!
अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो

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परिचय –  रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।


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