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गुरुवर

रुचिता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जीवन की राहों पर
चलना आपसे सीखा है,
हर मुश्क़िल से पार निकलना
गुरुवर आपसे सीखा है।।

कच्चे धागे जैसे थे हम,
पल-पल टूट जाया करते थे,
मन को मजबूत कर रस्सी बनना
गुरुवर आपसे सीखा है।।

हर काम आसान नहीं,
सोचकर छोड़ दिया करते थे,
असम्भव को संभव बनाना,
हाँ गुरुवार आपसे सीखा है।।

समझ न थी सही गलत की,
हर बात में गलती होती थी,
सत्य की पहचान करना,
गुरुवर आपसे सीखा है।।

जब भी दुविधा में होती हूँ,
तो आप ही राह दिखाते हैं।
आपके वचन मेरे लिए
ईश्वर की वाणी बन जाते हैं।

भाग्यशाली हूँ बहुत,
जो गुरु का सानिध्य मिला है,
गुरु के आशीष से ही आज
मुझको सबकुछ मिला है,
सबकुछ मिला है….।।

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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