Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सुशांत जैसी शख्सियत का यूँ जाना अखरता है मानव जाति को

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

********************

चिट्ठी ना कोई संदेश, इस दिल को लगा के ठेस कहाँ तुम चले गए….? हर दिल अजीज, उम्दा अभिनेता
सुशांत सिंह राजपूत सर आज आप हमारे बीच नहीं हैं ख़बर सुनने के बाद ना जाने कितनी बार मेरी आँख नम हुई गला रुंध सा गया! मेरी मन: स्थिति कुछ भी लिखने की नही है लेकिन आपकी इस आत्महत्या ने मानव जाति के लिए जो सवाल छोड़ें हैं उसको लिखना भी जरूरी लग रहा है! एक पूरा जीवन जो इस धरा पर आने में सतरंगे सपनों से लेकर नौ माह का खूबसूरत समय लेता है, अचानक ऐसी कौन सी विवशता, लाचारी, दुख, दर्द इंसान को घेर लेता है कि जिंदगी जीने से ज्यादा मौत प्रिय लगने लगती है! हर कोई सवाली है इस वक्त कि आखिरकार ऐसी क्या पीड़ा ऐसी कौन सी मानसिक विचलन मन में रही होगी कि सुशांत सिंह राजपूत जैसी शख्सियत ने मौत को गले लगाया? क्यों अचानक अपनों को रोता विलखता छोड़ कर इंसान चल देता है अज्ञात में सुख खोजने! यह कहीं लिखा तो नहीं कि मौत को गले लगा लेने के बाद सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा या समस्याएं सुलझ जाएंगी? गरुड़ पुराण में आत्महत्या को पाप माना गया है और असमय प्रकृति के नियम को तोड़ना पाप के दायरे में आता ही है! आखिर कौन सी कमी थी आपकी जिंदगी में सुशांत सर जिस कमी को आप पूरा ना कर सके और असमय काल के गाल में समाहित होना आपको जायज लगने लगा? एक पल के लिए ठहर कर नही सोचा आपने अपने माता-पिता, भाई बहन परिवार दोस्त और हम जैसे लाखों दर्शकों के बारे में? आपका यूँ रुखसत होना मानव जाति के लिए यह प्रश्न खड़ा कर रहा है कि आत्महत्याओं के बढ़ते आंकड़ों से निकलती आह को अनसुना नही किया जा सकता! यदि हमारे आसपास कोई भी व्यक्ति हताशा महसूस कर रहा है, हीनता महसूस कर रहा है अथवा वो बातचीत के दौरान जिंदगी से ऊब जाने की बात करता है तो हमें उसकी बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत है! हमारी पहली प्रतिक्रिया यह होनी चाहिए कि हम उसकी समस्या का समाधान ढूँढ़ें कोशिश करें कि उसको अकेला नहीं छोड़ें? जो लोग आत्महत्या के बारे में सोचते हैं वो आत्महत्या करने से पहले एक ऐसे इंसान की तलाश में अवश्य रहते हैं जो उनका दर्द समझ सके उनकी बात सुन सके दुख दर्द साझा कर सके! अगर हमारे आसपास कोई ऐसा व्यक्ति जो बिलकुल अकेला रहना पसंद कर रहा हो नकारात्मक बातें करने लगा हो तो एक इंसान होने के नाते हमे उसकी भावनाओं को समझना है और जो बातें वह कर रहा है उसे उसकी दृष्टिकोण से भी देखना और समझना है और यथासंभव प्रयास यही करना है कि वो अपनी आत्महत्या वाली मन:स्थिति से बाहर निकल सके! जिंदगी अनमोल है और यह सिर्फ एक बार मिलती है यदि हम यह समझने और समझाने में सफल हो गए तो आत्महत्याओं में अंकुश अवश्य लगेगा!

.

परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *