श्याम सिंह बेवजह
नयावास (दौसा) राजस्थान
********************
देख कर मैं आर्श्चयचकित रह गया
जब कल का शख्स अपना कह गया
ता उम्र सिंचा जिस व्रक्ष को अपने लिए
बांध कर रखा जिस ड़ोर से वह घह गया
हालात बदत्तर होते देख अश्क़ झलक गए
लफ़्ज न निकला एक आज चुपचाप सह गया
घूटन होने लगी आज उसी आशियाँ में
जो पुरखों का सपना था मगर ढ़ह गया
देख़ ऐ ताक़त उस जोरू की सिर गर्माया है
लग़ने लगा है ग़लत उगाया व्रक्ष जो बह गया
हर सपना अधूरा सा नज़र आने लगा है
सब तेरी वज़ह से ये अपनी मां से कह गया
ज़माना बदलने की हद्द शिकायतें दर्ज बहुत
उठीं कलम “श्याम सिंह” लिखा जो चह गया
परिचय :- श्याम सिंह बेवजह
निवासी : नयावास (दौसा) राजस्थान
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…